महाष्टमी: शक्ति की आराधना और विजय का पर्व

पंडित मुकेश भरद्वाजहाष्टमी: शक्ति की आराधना और विजय का पर्व महाष्टमी, जिसे दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है, नवरात्रि के आठवें दिन का विशेष महत्व होता है। यह दिन देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की आराधना के लिए समर्पित होता है, जिन्होंने महिषासुर नामक असुर का संहार कर धर्म और सत्य की विजय का संदेश दिया। महाष्टमी को शक्ति, साहस और सद्गुणों की प्रतीक माना जाता है।

महाष्टमी का धार्मिक महत्व

महाष्टमी के दिन भक्तगण विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। इस दिन देवी के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है, जो शांति, पवित्रता और करुणा की प्रतीक मानी जाती हैं। भक्त उपवास रखते हैं और देवी को पुष्प, फल, और विशेष भोग अर्पित करते हैं। कई स्थानों पर कुमारी पूजन का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।

परंपराएं और अनुष्ठान

महाष्टमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ-साथ कई क्षेत्रों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। रात्रि के समय संधि पूजा का आयोजन होता है, जिसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूजा का आयोजन देवी दुर्गा के महिषासुर के साथ युद्ध के अंतिम क्षणों की स्मृति में किया जाता है, जब उन्होंने असुरों पर विजय प्राप्त की थी।

महाष्टमी का सांस्कृतिक पहलू

भारत के विभिन्न हिस्सों में महाष्टमी को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। बंगाल में दुर्गा पूजा के तहत इसे बहुत भव्यता से मनाया जाता है। यहां पर विशाल पंडालों में दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और पूरे शहर में उत्सव का माहौल होता है। वहीं, उत्तर भारत में भी इस दिन विशेष हवन और पूजा का आयोजन होता है।

महाष्टमी का आध्यात्मिक संदेश

महाष्टमी केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश भी है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा विजय होती है और हमें जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना साहस और विश्वास के साथ करना चाहिए।

Shubh Tithi and Muhurat | शुभ तिथि और मुहूर्त

2024 पंचांग के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 11 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन महागौरी माता की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 6 बजकर 20 मिनट से सुबह 7 बजकर 47 मिनट रहेगा. अमृत काल में सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.

Maa Mahagauri Puja Vidhi | मां महागौरी पूजा विधि

नवरात्रि का आठवें दिन पूजा से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें.पूजा से पहले घर को साफ-सुथरा कर लें और एक चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें.मंदिर को फूलों और दीपक से सजाएं और माता को धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, चंदन, रोली, अक्षत आदि अर्पित करें.महागौरी माता को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें.पूजा के अंत में आरती करें और व्रत कथा का पाठ करें.पूजा खत्म होने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को प्रसाद और दान अवश्य दें.

महाष्टमी का यह पर्व शक्ति की आराधना, नारी के सम्मान, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

महाष्टमी: शक्ति की आराधना और विजय का पर्व महाष्टमी, जिसे दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है, नवरात्रि के आठवें दिन का विशेष महत्व होता है।

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