2 अक्टूबर – लाल बहादुर शास्त्री: सरलता, साहस और सच्चाई के प्रतीक – लाल बहादुर शास्त्री, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और एक महान स्वतंत्रता सेनानी, ने अपनी सरलता, विनम्रता और दृढ़ निश्चय के बल पर देश को एक सशक्त दिशा दी। उनका जीवन एक आदर्श के रूप में देखा जाता है, जिसमें ईमानदारी और सेवाभाव सर्वोपरि थे।
प्रारंभिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम
2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा था। उनका बचपन साधारण रहा, लेकिन शिक्षा के प्रति उनका जुनून उन्हें आगे बढ़ाता रहा। वाराणसी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, शास्त्री जी महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित हुए और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
उनके नेतृत्व कौशल और अनुशासनप्रियता के कारण उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभिन्न अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय भागीदारी के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उनके जोश और हिम्मत में कोई कमी नहीं आई।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
लाल बहादुर शास्त्री 1964 में भारत के प्रधानमंत्री बने, और उनका कार्यकाल अत्यधिक चुनौतीपूर्ण था। प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने देश को कई कठिनाइयों का सामना कराया, जिनमें से सबसे प्रमुख 1965 का भारत-पाक युद्ध था। उनके प्रसिद्ध नारे “जय जवान, जय किसान” ने देशवासियों में अपार उत्साह भरा और युद्ध के समय भी देश की कृषि और सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
शास्त्री जी का यह नारा आज भी भारत की आत्मनिर्भरता और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने किसानों और जवानों के महत्व को समझा और देश की उन्नति के लिए उन्हें एक साथ लेकर चले।
मृत्यु और विरासत
11 जनवरी 1966 को ताशकंद में उनका आकस्मिक निधन हुआ, जहाँ उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है, लेकिन उनकी महानता और उनके द्वारा किए गए कार्य अमर हैं।
लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने सरलता में महानता को देखा। उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्चाई, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के बल पर किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। उनका नाम भारतीय इतिहास में सदा अमर रहेगा, और उनकी विचारधारा और नेतृत्व आज भी प्रेरणादायक हैं।
उनकी जयंती पर, हम सभी को उनके आदर्शों और शिक्षाओं को याद करते हुए उनके योगदान को सलाम करना चाहिए।