दुनियाभर में लोकप्रिय योग के प्रकार और उनके अद्वितीय लाभ – योग के कई प्रकार हैं, जिनका अभ्यास शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ और संतुलित रखने के लिए किया जाता है। प्रत्येक प्रकार की अपनी विशेषता, तकनीक और उद्देश्य होते हैं। यहां योग के प्रमुख प्रकार और उनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:
हठ योग सबसे पुराने और प्रचलित प्रकारों में से एक है, जो शरीर और मन को संतुलित करने पर केंद्रित है।
इसमें आसनों (शारीरिक मुद्राओं), प्राणायाम (सांस की तकनीक) और ध्यान का उपयोग किया जाता है।
हठ योग का उद्देश्य शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करना और स्वस्थ रखना है।
यह योग खासतौर पर शारीरिक बल और लचीलेपन को बढ़ाता है।
इसे “पॉवर योग” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें शक्ति और लचीलेपन की जरूरत होती है।
इस योग में आठ अंगों (नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि) का पालन किया जाता है।
अष्टांग योग में आसनों का एक निर्धारित क्रम होता है, जिसे तेज गति से किया जाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य अनुशासन और मन की एकाग्रता को बढ़ाना है।
इसे “फ्लो योग” के रूप में भी जाना जाता है।
विन्यास योग में आसनों का एक क्रम होता है जो श्वास के साथ समन्वित होता है।
इसमें एक आसन से दूसरे में बिना रुके जाना होता है, जिससे शरीर का संतुलन और लचीलापन बढ़ता है।
इस योग के दौरान ध्यान और मन की शांति का अनुभव होता है।
बिक्रम योग एक प्रकार का हठ योग है, जो गर्म वातावरण में 26 विशेष आसनों के एक निर्धारित क्रम पर आधारित है।
इसे “हॉट योग” भी कहा जाता है क्योंकि इसका अभ्यास 40-42 डिग्री सेल्सियस के तापमान में किया जाता है।
गर्म वातावरण में अभ्यास करने से शरीर में रक्त प्रवाह और मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ता है।
इस योग का उद्देश्य कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करना है, जो रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित होती है।
कुंडलिनी योग में आसन, प्राणायाम, मंत्र और ध्यान का उपयोग किया जाता है।
यह योग आध्यात्मिक विकास, मानसिक जागरूकता और ऊर्जा को संतुलित करने पर जोर देता है।
भावना योग को “भक्ति का योग” कहा जाता है, जो प्रेम, भक्ति और ईश्वर के प्रति समर्पण पर आधारित है।
इसमें मंत्र जप, कीर्तन और ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पण करना शामिल है।
यह योग भावनात्मक संतुलन और मन की शांति पाने का एक तरीका है।
ज्ञान योग का उद्देश्य ज्ञान, स्व-अनुसंधान और आत्म-ज्ञान प्राप्त करना है।
इसमें ध्यान, अध्ययन और स्व-अध्ययन पर ध्यान दिया जाता है।
यह योग विशेष रूप से ध्यान और विचारों को शुद्ध करने में सहायक है।
कर्म योग को “सेवा का योग” कहा जाता है, जिसमें बिना किसी स्वार्थ के कार्य करना सिखाया जाता है।
इसका उद्देश्य कर्म और सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक विकास करना है।
इसमें व्यक्ति अपने कार्यों को निस्वार्थ रूप से करता है और परिणाम की चिंता नहीं करता।
यिन योग एक धीमी गति का योग है जो गहरी मांसपेशियों और संयोजी ऊतकों पर काम करता है।
इसमें एक आसन को लंबे समय तक पकड़ा जाता है ताकि शरीर का लचीलापन बढ़ सके और तनाव दूर हो।
इस योग का उद्देश्य शरीर और मन में संतुलन लाना है।
रेस्टोरेटिव योग शरीर को आराम देने और तनाव को कम करने पर केंद्रित है।
इसमें शरीर को गहराई से आराम देने के लिए विभिन्न सहायक सामग्री जैसे कि ब्लॉक और बेल्ट का उपयोग किया जाता है।
यह योग मानसिक शांति और आराम की स्थिति में लाने के लिए उपयोगी है।
तंत्र योग का उद्देश्य ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करना और मन की उच्चतम स्थिति प्राप्त करना है।
इसमें ध्यान, आसन, प्राणायाम और मंत्र का उपयोग किया जाता है।
यह योग जीवन में पूर्णता और ऊर्जा को जागृत करने में सहायक है।
अयंगर योग आसनों के सही संरेखण और तकनीकी सटीकता पर जोर देता है।
इसमें शरीर की प्रत्येक मुद्रा को सही और नियंत्रित ढंग से किया जाता है।
यह योग लचीलापन, संतुलन और शारीरिक जागरूकता को बढ़ाने में सहायक है।
निष्कर्ष