
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने दी श्रद्धांजलि, देशभर से अनुयायी वाराणसी पहुंचे
वाराणसी, 5 मई 2025 — पद्म श्री से सम्मानित, 129 वर्षीय योग गुरु स्वामी शिवानंद का शनिवार रात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के SSL अस्पताल में निमोनिया और हृदयगति रुकने के कारण निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार सोमवार सुबह मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।
बंगीय समाज से जुड़े और आश्रम से संबद्ध देबाशीष दास ने बताया कि स्वामी जी के अंतिम दर्शन हेतु लंदन, असम और पूर्वोत्तर राज्यों से शिष्य वाराणसी पहुंच रहे हैं। इस कारण अंतिम संस्कार सोमवार को करने का निर्णय लिया गया।
जैसे ही स्वामी जी के निधन की खबर फैली, शनिवार देर रात से ही बड़ी संख्या में अनुयायी अस्पताल और आश्रम पहुंचने लगे।
राष्ट्रीय नेताओं की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह X (पूर्व Twitter) पर लिखा:
“योग साधक और काशीवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुखी हूं। योग और ध्यान को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। उनका देवलोक गमन काशी समेत हम सभी के लिए अपूरणीय क्षति है। समाज सेवा हेतु उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इस दुख की घड़ी में मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक्स पर लिखा:
“काशी के प्रसिद्ध योग गुरु का निधन अत्यंत दुखद है। योग के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है। उनका समर्पण और योगमय जीवन सम्पूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”

जनप्रतिनिधियों की श्रद्धांजलि
बीजेपी विधायक नीलकंठ तिवारी, सौरभ श्रीवास्तव, और जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार सहित अनेक जनप्रतिनिधि और अधिकारी कबीरनगर स्थित ‘शिवानंद बाबा आश्रम’ पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वामी शिवानंद का जीवन परिचय
- जन्म: 8 अगस्त 1896, श्रीहट्ट (अब बांग्लादेश)
- स्थायी निवास: 1979 से वाराणसी के भेलूपुर, कबीरनगर क्षेत्र
- विदेश साधना: 1925 से 1959 तक फ्रांस, ग्रीस, माल्टा, जापान सहित कई देशों में
- अनुयायी: भारत सहित अनेक देशों में
दैनिक जीवनशैली और साधना:
- सुबह 3 बजे उठकर योग और ध्यान
- अभ्यास: अर्धचंद्रासन, प्राणायाम, मुक्तहस्त व्यायाम
- आहार: उबला चावल, सब्ज़ी और पानी
- प्रतिदिन गंगा घाट तक पैदल भ्रमण
- दिन का अधिकांश समय भजन-पाठ और अध्ययन में व्यतीत

सेवा और सादगी की मिसाल
- बीते पांच दशकों में 400 से 600 कुष्ठ रोगियों की सेवा
- 100 वर्षों तक लगातार कुंभ मेलों में भागीदारी (प्रयागराज, नासिक, उज्जैन, हरिद्वार)
- कभी किसी से आर्थिक दान स्वीकार नहीं किया
- 2021 में कोविड वैक्सीन के लिए स्वयं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, सबको चौंकाया
- 2022 में पद्म श्री से सम्मानित — राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मंच पर साष्टांग प्रणाम कर दर्शकों की तालियां बटोरीं
आध्यात्मिक भारत को अपूरणीय क्षति
स्वामी शिवानंद का निधन न केवल वाराणसी बल्कि पूरे भारत के लिए एक महान आध्यात्मिक संत की क्षति है। उनका जीवन योग, सेवा, त्याग और सादगी की अमूल्य प्रेरणा बना रहेगा।